Meet Anurag Sharma, a fresh MBA graduate in Hospital Management who has just started an exciting career as an Operations Manager at a private hospital in Dehradun. Anurag’s journey from a beginner to a skilled professional is full of challenges, growth, and inspiring moments.
Each day starts with an energetic morning routine, followed by handling various issues at the hospital, and ends with evening sessions learning Talent MD skill courses. Anurag’s daily diary captures these experiences, offering behind-the-scenes insights into hospital management, practical tips for overcoming challenges, and useful advice for improving efficiency and patient care.
30-Nov--0001
Dehradun, India
आज का दिन बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग में बेहद चुनौतीपूर्ण और प्रेरणादायक रहा। बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें मरीज को नए जीवन की उम्मीद दी जाती है। यह विभाग हमारे अस्पताल का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विभागों में से एक है। सुबह जब मैं अस्पताल पहुँचा, तो मुझे बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग से एक आपातकालीन कॉल प्राप्त हुआ। एक युवा मरीज, ऋषभ, जिसे तीव्र मायलॉयड ल्यूकेमिया (AML) था, का ट्रांसप्लांट आज होना था।
ऋषभ केवल 12 साल का था और उसके लिए यह ट्रांसप्लांट जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर था। उसकी स्थिति अत्यंत नाजुक थी और ट्रांसप्लांट के दौरान किसी भी प्रकार की जटिलता उत्पन्न हो सकती थी। हमारी टीम ने पहले से ही इस ट्रांसप्लांट की पूरी तैयारी कर रखी थी, लेकिन ट्रांसप्लांट शुरू होने से ठीक पहले हमें पता चला कि ऋषभ के शरीर में अचानक संक्रमण बढ़ गया था। यह स्थिति बेहद गंभीर थी, क्योंकि संक्रमण की उपस्थिति में ट्रांसप्लांट करना जोखिम भरा हो सकता था। मैंने तुरंत अपनी टीम को एकत्र किया और स्थिति का जायजा लिया। हमें तुरंत निर्णय लेना था कि क्या ट्रांसप्लांट को स्थगित किया जाए या किसी तरह संक्रमण को नियंत्रित करके इसे जारी रखा जाए। हमने तय किया कि हमें हर संभव प्रयास करना होगा ताकि ऋषभ का जीवन बचाया जा सके। मैंने हमारे इंफेक्शन कंट्रोल विशेषज्ञों को बुलाया और उनसे परामर्श किया। उन्होंने त्वरित एंटीबायोटिक थेरपी शुरू करने का सुझाव दिया ताकि संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके। हमने ऋषभ को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया और उसे उच्चतम स्तर की देखभाल और निगरानी में रखा। इस दौरान, हमने ऋषभ के माता-पिता को पूरी स्थिति से अवगत कराया और उन्हें हमारे निर्णय के बारे में समझाया। वे बेहद चिंतित थे, लेकिन हमने उन्हें यह भरोसा दिलाया कि हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं और ऋषभ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। लगभग चार घंटे की गहन देखभाल और एंटीबायोटिक थेरपी के बाद, ऋषभ की स्थिति में सुधार आने लगा। संक्रमण नियंत्रण में आ गया और हमने देखा कि उसका शरीर ट्रांसप्लांट के लिए तैयार है। यह हमारे लिए एक बड़ी राहत थी। हमारी ट्रांसप्लांट टीम ने तुरंत अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया और ट्रांसप्लांट प्रक्रिया शुरू की। यह प्रक्रिया लगभग छह घंटे तक चली, और हमारी टीम ने अत्यधिक सावधानी और धैर्य के साथ इसे पूरा किया। अंततः, ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और ऋषभ की स्थिति स्थिर हो गई।
शाम को जब मैं पीजी पहुँचा, तो दिनभर की थकान के बावजूद मन में संतुष्टि का अनुभव हो रहा था। मैंने जल्दी से नहा धोकर डिनर किया। खाने के बाद मैंने थोड़ी देर टीवी देखा और फिर अपने दिन के बारे में सोचने लगा। आज का दिन वास्तव में अनमोल अनुभवों से भरा रहा। मैंने देखा कि किस प्रकार कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय और टीमवर्क का महत्व होता है। ये अनुभव मुझे भविष्य में और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करेंगे। अब मुझे थोड़ा आराम करना चाहिए। कल का दिन नई चुनौतियों और अवसरों को लेकर आएगा, और मैं उसका सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।
शुभ रात्रि! 😊
अनुराग शर्मा (लखनऊ से देहरादून तक, सपनों और मेहनत के साथ)
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09-Jul-2024 16:26:37
Muhammad Ahsan Majeed
I like it