Meet Anurag Sharma, a fresh MBA graduate in Hospital Management who has just started an exciting career as an Operations Manager at a private hospital in Dehradun. Anurag’s journey from a beginner to a skilled professional is full of challenges, growth, and inspiring moments.
Each day starts with an energetic morning routine, followed by handling various issues at the hospital, and ends with evening sessions learning Talent MD skill courses. Anurag’s daily diary captures these experiences, offering behind-the-scenes insights into hospital management, practical tips for overcoming challenges, and useful advice for improving efficiency and patient care.
30-Nov--0001
Dehradun, India
देहरादून की ठंडी हवाओं और पहाड़ों के शांतिपूर्ण दृश्यों के साथ एक और नया दिन शुरू हुआ। आज सुबह की शुरुआत भी उसी ऊर्जा और उत्साह के साथ हुई। हर दिन अस्पताल में नई चुनौतियाँ और अवसर लेकर आता है, और आज का दिन भी इससे अलग नहीं था।
सुबह 9 बजे जब मैं अस्पताल पहुँचा, तो मुझे फ्रंट डेस्क पर कुछ मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ दिखी। वहाँ का माहौल थोड़ा चिंताजनक था और लोगों के चेहरे पर असंतोष के भाव स्पष्ट थे। मैं तुरंत स्थिति को समझने के लिए आगे बढ़ा और पता चला कि यह भीड़ जीडीए (जनरल ड्यूटी अटेंडेंट) सेवाओं को लेकर शिकायतें दर्ज करने आई थी। सबसे पहली शिकायत यह थी कि अस्पताल में व्हीलचेयर की कमी थी, जिससे मरीजों को वार्ड से ऑपरेशन थिएटर या डायग्नोस्टिक रूम तक ले जाने में दिक्कत हो रही थी। इसके अलावा, मरीजों ने यह भी शिकायत की कि स्पॉन्जिंग (साफ-सफाई) समय पर नहीं हो रही थी, जिससे उनकी असुविधा और बढ़ गई थी। मैंने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, जीडीए स्टाफ के साथ एक बैठक बुलाई। बैठक में सभी समस्याओं को विस्तार से सुना और उनके समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्णय लिया। मैंने स्टाफ से उनकी समस्याओं और काम के बोझ को समझा। सभी ने माना कि व्हीलचेयर की कमी और समय पर स्पॉन्जिंग न हो पाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। समस्याओं का समाधान करने के लिए सबसे पहले मैंने अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया और तुरंत नए व्हीलचेयर की व्यवस्था की। मैंने सुनिश्चित किया कि अगले 48 घंटों के भीतर पर्याप्त संख्या में व्हीलचेयर उपलब्ध हों, ताकि किसी भी मरीज को कोई असुविधा न हो। इसके अलावा, मैंने जीडीए स्टाफ के साथ मिलकर एक नया स्पॉन्जिंग शेड्यूल तैयार किया।
यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक मरीज की स्पॉन्जिंग समय पर और नियमित रूप से हो। इसके लिए स्टाफ को अतिरिक्त प्रशिक्षण भी दिया गया ताकि वे अपने काम को और भी बेहतर ढंग से कर सकें। गहन निरीक्षण के दौरान, मैंने महसूस किया कि जीडीए स्टाफ के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एक समर्पित सुपरवाइज़र नियुक्त करना आवश्यक है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि सभी कार्य समय पर और सही ढंग से हो रहे हैं। इसके साथ ही, मरीजों और उनके परिजनों की शिकायतों को तुरंत सुनने और उनका समाधान करने के लिए एक त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली स्थापित की गई। इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया, जिस पर मरीज और उनके परिजन अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते थे। दोपहर तक, मैंने सुनिश्चित किया कि सभी कदम उठाए जा चुके हैं और नई व्यवस्था लागू हो गई है। मैंने व्यक्तिगत रूप से वार्डों का निरीक्षण किया और मरीजों और उनके परिजनों से सीधे फीडबैक लिया। अधिकांश लोगों ने नए बदलावों की सराहना की और कहा कि इससे उन्हें काफी राहत मिली है। शाम को, मैंने जीडीए स्टाफ के साथ एक और बैठक की और उन्हें उनके उत्कृष्ट काम के लिए धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें प्रेरित किया कि वे इसी तरह समर्पित रहकर काम करें और मरीजों की सेवा में कोई कमी न आने दें। इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि समस्याओं का समाधान करने के लिए सही दृष्टिकोण और टीमवर्क कितना महत्वपूर्ण होता है।
रात को जब मैं अपने पीजी में वापस आया, तो दिनभर की मेहनत और सफलता को याद करके बहुत संतोष महसूस हुआ। मैंने अपने कमरे में बैठकर आज के दिन के अनुभवों को अपनी डायरी में लिखा। इसके बाद, मैंने अपने लैपटॉप पर TalentMD का एक और मॉड्यूल पूरा किया। आज का विषय Foundations of Problem Solving' था, जो मेरे पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन दोनों में बहुत उपयोगी था। इस कोर्स से मुझे अनेक नई विचार और दृष्टिकोण मिले, जो मेरे करियर को और भी मजबूत बना रहे हैं। अब मैं थोड़ा आराम करूँगा, क्योंकि कल एक और नया दिन होगा, नई चुनौतियाँ और नई सीखें लेकर आएगा।
शुभ रात्रि! 😊
अनुराग शर्मा (लखनऊ से देहरादून तक, सपनों और मेहनत के साथ)
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09-Jul-2024 16:26:37
Muhammad Ahsan Majeed
I like it