Rosy’s
Heartbeat

Meet Rosy, a dedicated nurse working in a bustling corporate hospital in Gurugram. Originally from Kerala, Rosy’s journey from a fresh graduate to a seasoned professional is truly inspiring. Through her daily diary, she captures her soothing morning routines, the challenges and triumphs of her workday, and her enriching evening sessions with Talent MD skill development courses. Rosy's entries offer a unique glimpse into the life of a nurse, filled with care, learning, and growth. Aspiring nurses can draw inspiration from her experiences, discovering practical care giving strategies and the profound impact of compassionate nursing in healthcare. Follow Rosy's journey to see new opportunities to make a meaningful difference in patients' lives.

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30-Nov--0001

Gurugram, India

बावनवा दिन – सेवा दिन

सुबह मेरी आँख खुली। जैसे ही मैंने खिड़की से बाहर देखा, सूरज की पहली किरणों ने मेरा स्वागत किया। थोड़ी थकान के बावजूद, मैंने उठकर तैयार होना शुरू किया। नाश्ते में हल्का सा उपमा और एक कप चाय बनाई। मैं अस्पताल के लिए निकल पड़ी। अस्पताल पहुंचते ही, हमने रोज की तरह टीम मीटिंग की। आज की मीटिंग में, हमने कुछ महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की और अपने-अपने कार्य निर्धारित किए। 

मुझे आज पेडियाट्रिक वार्ड में ड्यूटी मिली थी। सुबह, एक नया मरीज आया - 8 साल का राघव। उसे तेज बुखार और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। मैंने तुरंत डॉक्टर को बुलाया और राघव के लिए आवश्यक टेस्ट की व्यवस्था की। जांच के बाद पता चला कि उसे निमोनिया है। राघव बहुत डरा हुआ था, और उसकी माँ भी काफी परेशान थी। मैंने उसकी माँ को समझाया कि हम सब मिलकर राघव की पूरी तरह देखभाल करेंगे और उसे जल्दी ठीक कर देंगे। राघव के इलाज के दौरान, मैंने उसे और उसकी माँ को आराम और धैर्य देने की कोशिश की। मैंने राघव को किताबें और खिलौने लाकर दिए ताकि उसका ध्यान भटके और वह थोड़ा अच्छा महसूस करे। उसकी माँ को भी आश्वस्त किया कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। 

दोपहर में, एक और चुनौतीपूर्ण स्थिति आई। एक इमरजेंसी केस आया। 2 साल की अंशिका को अचानक दौरे पड़ने लगे। यह स्थिति बहुत ही नाजुक थी। मैंने डॉक्टर के निर्देशानुसार तुरंत CPR देना शुरू किया और उसके वेंटिलेटर सेटअप में मदद की। थोड़ी देर बाद, अंशिका की हालत स्थिर हो गई। इस पल ने मुझे सिखाया कि चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। शाम को, मुझे सर्जरी विभाग में भी मदद करनी पड़ी। एक 10 साल के बच्चे की अपेंडिक्स की सर्जरी थी। मैंने सर्जरी के पहले और बाद की देखभाल में सहायता की। यह अनुभव मेरे लिए नया और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मैंने इसे बखूबी निभाया।

 घर लौटते समय, मैंने सोचा कि मुझे अपने करियर को और बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए। मैंने सोचा कि मुझे अपने करियर को और बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए। तभी मुझे याद आया कि मुझे अपने नए कोर्स "पीडियाट्रिक नर्सिंग" के 3rd मॉड्यूल को पूरा करना है। घर पहुँचते ही, मैंने तुरंत अपना लैपटॉप खोला और कोर्स का तीसरा मॉड्यूल शुरू किया। इस मॉड्यूल में, मैंने बच्चों की विभिन्न बीमारियों और उनकी पहचान के तरीकों के बारे में सीखा। सबसे पहले, मैंने सीखा कि कैसे बच्चों में सामान्य बुखार और सर्दी-जुकाम की पहचान करनी चाहिए और उनकी देखभाल के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। मैंने यह भी जाना कि बच्चों में गंभीर बीमारियों जैसे निमोनिया, अस्थमा और डायबिटीज की शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचाना जाए और उन्हें तुरंत उपचार कैसे दिया जाए। इसके अलावा, मैंने सीखा कि कैसे बच्चों के लिए दवाओं की सही खुराक निर्धारित की जाती है, क्योंकि बच्चों की दवाओं की खुराक वयस्कों से बहुत अलग होती है। बच्चों की मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जरूरतों को समझना भी इस मॉड्यूल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। 

रात का खाना बनाने का बिल्कुल मन नहीं था, तो मैंने पास के रेस्तरां से कुछ पसंदीदा खाना मंगवाया। मैंने हल्के मूड में टीवी देखते हुए खाना खाया। इसके बाद, थोड़ा पढ़ाई करने का मन हुआ तो किताबें लेकर बैठ गई। आज का दिन काफी थका देने वाला था, लेकिन सीखने और अनुभव करने का भी एक मौका था। मैं अपने पेशे में और भी निपुण बन रही हूँ, और मुझे गर्व है कि मैं अपने मरीजों की सेवा कर रही हूँ। हर दिन की चुनौतियाँ और अनुभव मुझे और भी मजबूत और आत्मविश्वासी बना रहे हैं। 

शुभ रात्रि! 😊

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